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राजस्थान में अग्निवीर भर्ती में संभवतया पहली बार डमी कैंडिडेंट पकड़ा गया है। जोधपुर में भर्ती प्रोसेस के दौरान सेना के एक डॉक्टर के शक के कारण पूरे मामले का खुलासा हुआ है। हालांकि, फर्जीवाड़े में कोई गैंग शामिल है या केवल एक आरोपी ने ऐसा किया है? ऐसे कई सवाल अब जांच एजेंसियों के सामन हैं।

दरअसल, जोधपुर में 5 से 13 दिसंबर तक 5 से 13 दिसंबर तक 11 जिलों के लिए सेना भर्ती रैली की गई थी। भर्ती में प्रारंभिक स्तर पर चयनित युवक कुलदीप आमना पुत्र भगवान सिंह पर 20 दिसंबर को हुई मेडिकल टेस्ट में फर्जीवाड़े का आरोप है। भर्ती प्रोसेस में आरोपी का 20 दिसंबर का सैन्य हॉस्पिटल में आंखों का टेस्ट होना था।

पुलिस का कहना है कि उसे डर था कि आंखों के कारण वह फेल हो सकता है। इसलिए वह बहाने से रूम से बाहर निकल गया और एक दूसरे युवक को अंदर भेज दिया। वहां डॉक्टर को पहले के प्रोसेस में कैंडिडेट पर लगाई गई मुहर पर शक हुआ। इसी जांच में डमी पकड़ा गया।

वॉशरूम का बहाना कर बाहर निकला

पुलिस के अनुसार शुक्रवार (20 दिसंबर) सुबह 8 बजे कुलदीप ने अपना बायोमैट्रिक्स रिकॉर्ड कराया था। इसके बाद दोपहर 12:30 बजे हॉस्पिटल की आई टेस्ट ओपीडी में गया। वहां टेस्ट शुरू होने से पहले वह वॉशरूम का बहाना बनाकर निकला। कुछ मिनट बाद उसने खुद कर जगह अपने दोस्त मुकेश को अंदर भेज दिया।

मुकेश आंखों की जांच कराने के लिए गया। जांच से पहले लेफ्टिनेंट कर्नल छनी प्रीत सिंह ने उसके हाथ पर लगी मुहर देखी। असली मुहर की बजाए मुकेश के हाथ पर पेन से बनी मुहर थी। इसके बाद दोबारा बायोमैट्रिक्स व रेटिना मिलान किया तो वे अलग थे। अधिकारियों ने सख्ती से ​पूछताछ कि तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

क्या डमी बनने के लिए कोई सौदा हुआ?

रातानाडा थाने के एएसआई जेठाराम ने बताया- सेना की रिक्रूटमेंट सेल की ओर से 21 दिसंबर को रातानाडा थाने में मामला दर्ज कराया गया है। जांच में सामने आया कि कुलदीप सिंह की आंख में कुछ कमी है। इसी वजह से उसे मेडिकल जांच में फेल होने की आशंका थी।

उसने अपने दोस्त लोहावट के मतोड़ा थाना इलाके के पल्ली गांव निवासी मुकेश चौधरी पुत्र अमेदाराम को जांच के लिए भेज दिया। दूसरे आरोपी के पकड़े जाने से ही पता चलेगा कि मुकेश दोस्ती की वजह से फर्जीवाड़े में शामिल हुआ, इसके बदले उसने पैसे लिए या फिर यह किसी गैंग का काम है।

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