कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके परिवार ने कर्नाटक सरकार को पांच एकड़ जमीन लौटाने का फैसला किया है, जो खड़गे परिवार के सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को दी गई थी। खड़गे ने यह कदम मैसुरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) स्कैम की जांच के बीच उठाया है।
यह पांच एकड़ जमीन खड़गे के बेटे राहुल एम खड़गे को कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियास डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) की तरफ से बागालुर के हाई-टेक डिफेंस एंड एयरोस्पेस पार्क में हार्डवेयर सेक्टर में दी गई थी।
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बी. एम. ने 30 सितंबर को MUDA को 14 प्लॉट वापस करने की बात कही थी। इसे लेकर सिद्धारमैया ने कहा कि मेरे खिलाफ चल रहे राजनीतिक षड्यंत्र से आहत होकर मेरी पत्नी ने प्लॉट वापस करने का फैसला लिया है।
दरअसल, ED ने 30 सितंबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इससे पहले मैसूरु लोकायुक्त ने 27 सितंबर को सभी के खिलाफ केस दर्ज किया था। लोकायुक्त ने 1 अक्टूबर से मामले की जांच शुरू कर दी है।
मार्च 2024 में खड़गे के बेटे को दी गई थी जमीन विवाद की शुरुआत मार्च 2024 में हुई, जब कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को जमीन आवंटित की। खड़गे के बेटे राहुल इस ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। भाजपा ने इसकी आलोचना की थी। पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सरकार पर ‘सत्ता का दुरुपयोग’ और ‘परिवारवाद’ का आरोप लगाया।
यह पांच एकड़ जमीन सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को अनुसूचित जाति (SC) कोटे के तहत आवंटित की गई थी। इस ट्रस्ट में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, उनके दामाद और कलबुर्गी के सांसद राधाकृष्ण और उनके बेटे राहुल खड़गे सहित खड़गे परिवार के कई सदस्य ट्रस्टी हैं। यह जमीन 45.94 एकड़ इलाके का हिस्सा है, जिसे KIADB ने हाई-टेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क के लिए रिजर्व कर रखा था।
एक एक्टिविस्ट ने गर्वनर के पास दर्ज कराई थी शिकायत एक्टिविस्ट दिनेश कल्लाहल्ली ने कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत के पास औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने जमीन की आवंटन प्रक्रिया में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
कल्लाहल्ली ने कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल के खिलाफ मुकदमा दायर करने की इजाजत भी मांगी, ताकि वे राज्य के लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज कर सकें।
मंत्री पाटिल ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा कि राहुल खड़गे ने कोई फ्रॉड नहीं किया। उन्हें मेरिट के आधार पर इस जमीन के लिए पारदर्शी, सिंगल-विंडो अप्रूवल प्रक्रिया के जरिए से मंजूरी दी गई थी।
MUDA केस क्या है साल 1992 में अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने रिहायशी इलाके विकसित करने के लिए किसानों से जमीन ली थी। इसके बदले MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम के तहत जमीन मालिकों को विकसित भूमि में 50% साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।
MUDA पर आरोप है कि उसने 2022 में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के कसाबा होबली स्थित कसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले मैसुरु के एक पॉश इलाके में 14 साइट्स आवंटित की। इन साइट्स की कीमत पार्वती की जमीन की तुलना में बहुत ज्यादा थी।
हालांकि, इस 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार भी नहीं था। ये जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें 2010 में गिफ्ट में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था।