17 सितंबर, सुबह के 11.30 बजे। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल के घर विधायक दल की बैठक होनी थी। इसी में तय होना था कि केजरीवाल की जगह नया CM कौन होगा। तय वक्त पर विधायकों का आना शुरू हुआ। कुछ विधायक 11.40-45 बजे तक आते रहे। सबसे आखिर में आए सोमनाथ भारती। तब तक अरविंद केजरीवाल आतिशी के नाम का प्रस्ताव रख चुके थे। नाम सुनकर कुछ विधायकों ने सहमति में हां कहा, तो कुछ चुप रहे।
तब मनीष सिसोदिया आगे बढ़े और बोले- ‘आतिशी हमारी नई मुख्यमंत्री होंगी। क्या किसी को कोई एतराज है। हमें लगता है कि सब सहमत होंगे।’
ये बात सिसोदिया के साथ केजरीवाल ने मिलकर कही। मीटिंग में मौजूद दैनिक भास्कर के एक सोर्स बताते हैं कि शब्दों में कुछ हेरफेर हो सकता है, पर 30 मिनट चली मीटिंग में यही हुआ। न नए CM के नाम पर चर्चा हुई, न सलाह मशविरा किया गया, बस फैसला सुना दिया गया।
फोटो 17 सितंबर की है। अरविंद केजरीवाल मंत्री आतिशी के साथ उपराज्यपाल वीके सक्सेना के घर इस्तीफा देने पहुंचे थे। इसी दौरान आतिशी के नेतृत्व में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया गया।
विधायकों को पता नहीं था, CM के लिए किसका नाम आगे है सूत्र बताते हैं, ‘अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद जो भी हुआ, उसके बारे में विधायकों को कुछ पता नहीं था। केजरीवाल जेल से निकलते ही इस्तीफा देंगे और नया CM चुनने का ऐलान करेंगे, विधायक दल की बैठक में किस नाम की घोषणा होगी, विधायक इन सबसे अनजान थे। बस टाइम दिया और कहा गया कि मीटिंग होगी। नए CM के नाम पर चर्चा होनी है।’
क्या चर्चा हुई? सोर्स ने जवाब दिया, ‘क्या चर्चा होती है। हमें उम्मीद भी नहीं थी कि विधायक दल से कोई नाम मांगा जाएगा। हां, ये उम्मीद थी कि कम से कम रस्म अदायगी के लिए ही सही, 2-3 नामों की लिस्ट आएगी। फिर बाकी नाम काटकर एक नाम तय किया जाएगा। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।’
सूत्र आगे कहते हैं, ‘क्या 30 मिनट में दिल्ली के सारे विधायकों के हिस्से एक-एक मिनट भी नहीं था। बैठकें तो कई घंटे चलती हैं। एक घंटे की बैठक रखी जा सकती थी। दरवाजे के उस तरफ खड़े लोगों को भी लगता कि विधायकों से चर्चा हुई है।’
‘हालांकि हर पार्टी में ऐसा ही होता है। लीडर फैसला सुनाते हैं। हरियाणा में BJP को ही देखिए। BJP ने CM मनोहर लाल खट्टर को वक्त पर नहीं हटाया, इसका नुकसान उसे होता दिख रहा है। खट्टर को न हटाने की जिद किसकी थी, बताने की जरूरत नहीं। राज्य के नेताओं और विधायकों की राय क्या खट्टर के मामले में मानी गई।’
क्या आतिशी के नाम पर विधायक राजी थे? सूत्र जवाब देते हैं, ‘कुछ विधायकों ने हां कहा, बाकी चुप ही रहे। एतराज करने का कोई मतलब था नहीं। अब तक तो जिन्होंने एतराज किया, वे पार्टी से इस्तीफा देकर बाहर हो गए या फिर पार्टी ने उन्हें निकाल दिया।’
मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद आतिशी ने मीडिया से बात की थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग इस बात का प्रण ले रहे हैं कि अगले चुनाव में वे केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाएंगे।
क्या विधायकों ने पहले से कोई नाम तय किया था? ‘नहीं, विधायकों ने अलग से कोई बैठक नहीं की। हां, कुछ नाम थे, जो विधायकों की पसंद थे। सौरभ भारद्वाज के पार्टी में सभी से अच्छे रिश्ते हैं। उनके नाम पर किसी को एतराज नहीं था। कैलाश गहलोत अगर CM बनते, तो शायद LG से काम निकालने में आसानी होती। उनके रिश्ते भी सबसे ठीक ही हैं। हमें मीटिंग से एक मिनट पहले तक उम्मीद थी कि सौरभ या फिर गहलोत ही नए CM होंगे।’
क्या केजरीवाल और सिसोदिया को पता नहीं था कि आतिशी विधायक दल की पसंद नहीं? सूत्र बताते हैं, ‘सरकार और संगठन में किसकी क्या छवि है, टॉप लीडरशिप को न पता हो, ये कैसे हो सकता है। शायद कुछ महीनों के लिए टेंपरेरी CM के तौर पर आतिशी ठीक भी हैं। सभी को पता है कि सुपर CM कौन होगा। इसलिए बहुत फर्क नहीं पड़ता।‘
CM पद के लिए आतिशी किसकी पसंद थीं, केजरीवाल की या सिसोदिया की? सूत्र ने जवाब दिया, ‘सिसोदिया उन्हें ज्यादा पसंद करते हैं। हालांकि केजरीवाल जी के जेल में रहते हुए आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने जिस तरह जिम्मेदारी संभाली, उससे CM को भी एतराज नहीं था। वैसे भी अगर परमानेंट CM चुनना होता, तो शायद कुछ लोग बोलते भी। इसे अस्थायी व्यवस्था मानकर सब चुप रहे।’
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