अगर आप ठंडाई के प्रेमी हैं, तो आज हम आपको लेकर चलते है कानपुर में आलोक ठंडाई भंडार में। इनकी दुकान आनंदेश्वर बाबा मंदिर (परमट मंदिर) में स्थित है। यहां पर आने वाले शिव भक्त इस ठंडाई को बिना पीए जा नहीं सकते। इस ठंडाई में लगभग 12 से भी अधिक चीजों का मिश्रण होता हैं।
आलोक ठंडाई भंडार 50 साल पुरानी दुकान है। ये दुकान सरजू प्रसाद द्विवेदी ने 1975 में खोली थी। इसके बाद 2010 में उनके बेटे बाबू लाल द्विवेदी ने दुकान संभाल ली। फिर इस दुकान का नाम उन्होंने अपने बेटे आलोक के नाम पर रखा। आज मंदिर परिसर में उनकी दो दुकानें हैं।
दुकान मालिक आलोक द्विवेदी बताते हैं, मंदिर में आने वाले शिव भक्तों को यहां की मेवा युक्त ठंडाई बहुत पसंद आती है। इसमें 4 से 5 प्रकार की मेवा और अन्य चीजों का मिश्रण होता है। सुगंधित ठंडाई लोगों को तरो-ताजा कर देती है।
यहां से पहले भक्त बाबा को ठंडाई चढ़ाने के लिए ले जाते हैं। इसके बाद फिर खुद भी पीने के लिए आते हैं। इसकी सुगंध अपने आप लोगों को खींच लाती है।
इस ठंडाई में जो हल्का गुलाबी रंग नजर आता है, वह गुलाब की पत्तियों का रंग होता है। इसमें जो सुगंध मिलती है वो इलायची और गुलाब की पत्तियों से मिलती है। इसलिए ये ठंडाई कभी आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगी। इस ठंडाई को पीने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इसे परमट की ठंडाई भी कहते हैं।
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