तारीख थी 1 सितंबर। इस दिन हरियाणा के 22 जिलों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की 22 बैठकें हुईं। इनमें जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियों से लेकर शाखा प्रमुख तक शामिल हुए। फिर 7 से 9 सितंबर तक हर विधानसभा क्षेत्र में RSS के वरिष्ठ पदाधिकारियों की मौजूदगी में बैठकें की गई। कुल 3 दिन में 90 बैठकें। छोटी बड़ी सभी मीटिंग को मिला दें, तो अब तक 200 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में RSS किस तरह एक्टिव है, ये इससे साफ है। हरियाणा के जिला स्तर के पूर्णकालिक प्रचारक और प्रांत स्तर के पदाधिकारी RSS के एक्टिव होने का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि ये आंकड़े तो शुरुआती हैं। ऐसी कई बैठकें पूरे राज्य में होनी हैं।
पदाधिकारियों का कहना है कि हमारी इंटरनल रिपोर्ट में BJP बहुमत से काफी पीछे है। अब RSS से उम्मीद है। RSS भी उसे बहुमत के आंकड़े तक लाने की कोशिश में लगा है। मनोहर लाल खट्टर को CM पद से हटाने में देरी से पार्टी को ज्यादा नुकसान हुआ। जिले से पंचायत स्तर तक RSS के कार्यकर्ता लोगों की नाराजगी दूर करने में लगे हैं। साथ ही उन्हें वोटिंग के लिए तैयार कर रहे हैं।
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटों पर एक फेज में 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। इससे पहले दैनिक भास्कर ने प्रदेश में RSS की एक्टिविटी पर प्रांत स्तर के पदाधिकारियों से बात की। उनसे जाना कि लोग सरकार से नाराज क्यों हैं। इस नाराजगी को दूर करने और BJP को मजबूत करने के लिए RSS क्या कर रहा है।
नाराज वर्कर्स और लोकल लीडर्स को मना रहा RSS RSS के पदाधिकारी हरियाणा में चुनाव तक हवा का रुख BJP की तरफ मुड़ने की उम्मीद जता रहे हैं। वे पार्टी की हठ पर नाराजगी भी जताते हैं। कहते हैं, ‘अगर मनोहर लाल खट्टर को CM पद से और पहले हटा दिया गया होता, तो चुनाव का रुख BJP के पक्ष में होता।’
तो क्या RSS ने खट्टर को हटाने का सुझाव दिया था? जवाब मिला, ‘पिछले साल मार्च में हरियाणा के समालखा में बैठक हुई थी। तभी हमने CM बदलने का सुझाव दिया था। BJP ने सुझाव देरी से माना।’
‘नतीजा ये है कि अब एक तरफ जनता नाराज है, तो दूसरी तरफ हमारे वर्कर और कई लोकल लीडर भी नाराज हैं। इसी का नतीजा था कि लोकसभा चुनाव में वे अपने घरों से बाहर ही नहीं निकले।’
‘हम कोशिश कर रहे हैं कि सबसे पहले तो अपनों को मनाएं। अगर ये बाहर निकले, तो हजारों परिवार वैसे ही बाहर आ जाएंगे। हर कार्यकर्ता और नेता के अपने समर्थक हैं। दूसरी तरफ खट्टर से जनता के मन में आई खटास को खत्म करने की कोशिश करेंगे। अब देखते हैं कितनी सफलता हाथ आती है।’
सोर्स के मुताबिक, RSS दो मोर्चों पर काम कर रहा है। पहला- पार्टी के अंदर जो कार्यकर्ता नाराज हैं, उनकी परेशानी समझकर उन्हें सुलझाना। दूसरा मोर्चा है- खट्टर के शासनकाल से गुस्साई जनता को मानना।