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उत्तर- पश्चिमी राजस्थान के किसानों ने सालों तक अकाल की मार झेली है। इस साल औसत से भी ज्यादा बारिश होने के बावजूद समय पर पानी नहीं मिलने से फिर अकाल के हालात बन गए है। मानसून की बेरुखी के चलते अब भीषण गर्मी के साथ रात को पड़ रही हवाओं से फसलों के चौपट होने का खतरा बढ़ गया है।

पांच से सात दिनों में बारिश नहीं हुई तो बीकानेर में बरानी फसलें चौपट हो जाएगी। पिछले कई दिनों से बादलों की आवाजाही से बारिश होने की उम्मीद बनी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार बारिश की अभी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।

पिछले डेढ़ महीने से बारिश नहीं

उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में मानसून मेहरबान होता है तो जुलाई-अगस्त महीने में बारिश होती है। जिस पर किसान खरीफ फसलों की बुआई कर देते है। बाजरा, ग्वार, मोठ, मूंग सहित अन्य दलहनी फसलों की मानसून के दौरान पर्याप्त पानी मिल जाने और फिर सर्दी का मौसम शुरू हो जाने से अच्छी पैदावार हो जाती है। इस साल समय से पहले बारिश होने पर किसानों ने अगेती बुआई कर दी और फसलें लहलहाने भी लगी। जब बारिश की जरुरत पड़ी तो इन्द्रदेव मानो रुठ गए हो। बीते एक-डेढ़ महीने में एक बार भी बारिश नहीं हुई, जिसके कारण खरीफ की फसलें तबाह होती दिख रही है।

औसत से भी ज्यादा बारिश

बीकानेर के लूणकरणसर क्षेत्र में मानसून के दौरान 11 जुलाई से शुरू हुई बारिश जुलाई में कुल 75 एमएम और अगस्त में 259 एम एम बारिश का औसत है। तहसील के आधे गांवों में इस वर्ष पहले बिपरजॉय, फिर प्री-मानसून व मानसून की अच्छी बारिश का दौर चला, जिसके चलते जुलाई महीने में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई। किसानों को इस साल अच्छे जमाने की आस थी। इसी उम्मीद के चलते किसानों ने खरीफ की फसलों की बुआई कर दी लेकिन अगस्त महीने के तीसरे सप्ताह में बारिश की आवश्यकता महसूस हुई, जो अभी तक नहीं हो पाई है।

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