बीकानेर के तीन पैरा खिलाड़ियों ने पैरा स्वीमिंग प्रतियोगिता में ऐसा प्रदर्शन किया, जिसने उनके साहस और संघर्ष की कहानी को पूरी दुनिया के सामने लाकर रख दिया। जीवन की कड़ी चुनौतियों से लड़ते हुए, इन खिलाड़ियों ने न केवल अपने-अपने शारीरिक कमियों को पराजित किया, बल्कि अपनी क्षमता का लोहा मनवाते हुए गोल्ड मेडल तक जीते। इनमें से एक युवती दृष्टिहीन है, दूसरी महिला के पैर काम नहीं करते, और तीसरे खिलाड़ी के बचपन में करंट लगने से दोनों हाथ काटने पड़े।
यशु स्वामी की आंखों में ज्योति नहीं मगर सपने देखे और तैराकी की स्टेट पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर सपनों को साकार करके दिखाया। पंकज के हाथ नहीं और विद्या के काम नहीं करते पैर मगर गोल्ड मेडल हासिल करने में सफलता हासिल की। तीनों ने अपने जीवन में अटूट जज्बे और हौसले से हर मुश्किल को मात देते हुए 8वीं राजस्थान स्टेट पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर नेशनल में क्वालीफाई हुए हैं। प्रतियोगिता बीते दिनों जयपुर में हुई थी।
पैरालाइसिस से ग्रसित महिला ने स्वीमिंग में दिखाई गति
पैरालाइसिस सरीखी बीमारी के कारण बीकानेर की विद्यावती अपने पैरों का इस्तेमाल नहीं कर पाती। इसके बावजूद उन्होंने जयपुर में आयोजित 8वीं राजस्थान पैरा स्वीमिंग चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीता। विद्यावती के बचपन में एक टीका लगने के बाद पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।
व्हीलचेयर पर होने के बावजूद, उसने स्विमिंग पूल में अपनी गति और कुशलता से सभी को चौंका दिया। उसकी जिद और मेहनत के कारण उन्होंने 50 और 100 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में दो गोल्ड और 100 मीटर बैक स्ट्रोक में सिल्वर मेडल हासिल किया। वर्तमान में विद्यावती राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम में कार्यरत हैं। उन्होंने कोच विजय शर्मा का धन्यवाद किया, जिन्होंने स्विमिंग सिखाई।
दोनों हाथ खो चुके खिलाड़ी ने पानी में दिखाया अद्भुत प्रदर्शन
तीसरे खिलाड़ी की कहानी और भी अधिक प्रेरणादायक है। बीकानेर के बेनीसर बारी के बाहर रहने वाले पंकज सेवग ने 50 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक में गोल्ड, 100 मीटर ब्रेस्ट स्टॉक में गोल्ड मेडल तथा 100 मीटर फ्री स्टाइल में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। पंकज सेवग के बचपन में करंट लगा और उसके दोनों हाथों को काटना पड़ा। बिना हाथों के एक सामान्य जीवन बिताना एक कठिन चुनौती थी। लेकिन इस खिलाड़ी ने अपने शारीरिक अभाव को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उसने पैरों और शरीर की अन्य मांसपेशियों की मदद से स्वीमिंग में महारत हासिल की और गोल्ड जीतकर दिखाया।
दृष्टिहीन युवती ने दिखाया कमाल
बीकानेर की यशु स्वामी ने स्टेट पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर बैक स्ट्रोक में गोल्ड मेडल व 100 मीटर बैक स्ट्रोक में गोल्ड मेडल हासिल किया है। यशु स्वामी को 12वीं कक्षा तक सामान्य दिखाई देता था, लेकिन उसके बाद उसे आंखों से बिल्कुल दिखना बंद हो गया। यशु ने अपनी जिंदगी में अंधकार होते हुए भी अपने लक्ष्य के प्रति कभी हार नहीं मानी। उसके कोच विजय शर्मा और परिवार ने उसका निरंतर समर्थन किया। यही वजह है कि उसकी मेहनत और आत्मविश्वास ने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया। यशु का जज्बा उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में संघर्ष कर रहे हैं।