जयपुर में दिल्ली रोड स्थित जयसिंहपुरा खोर में पिछले दिनों एक युवती के साथ ही रेप की घटना के मामले में एसएमएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। ट्रोमा सेंटर में भर्ती हुई बच्ची को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट करने के मामले में बच्ची की पहचान उजागर हो गई, जिससे परिवार की चिंता और बढ़ गई। इस पूरे घटनाक्रम ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल रेप की घटना के बाद युवती को आरोपी घर के बाहर लहूलुहान हालात में घर के बाहर फेंककर चले गए थे। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने बच्ची को एसएमएस के ट्रोमा सेंटर के आईसीयू में भर्ती करवाया। लेकिन यूनिट के डॉक्टर मनीष अग्रवाल ने बिना उचित कारण बताए उसे अगले दिन जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया।
इस कदम से पीड़िता की गोपनीयता खतरे में आ गई और उसकी पहचान उजागर हो गई। क्योंकि पीड़िता की सुरक्षा में एक पुलिस का जवान भी हॉस्पिटल में तैनात किया गया। जनरल वार्ड में हर कोई आता-जाता मरीज और उसका परिजन और स्टाफ को इस घटना का पता चल गया।
पूर्व मंत्री के हस्तक्षेप के बाद किया शिफ्ट
पीड़िता के पिता ने इस मामले में पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से संपर्क किया। पीड़ित पिता की व्यथा सुनने के बाद जब प्रताप सिंह ट्रोमा सेंटर पहुंचे तो वहां उन्होंने डॉक्टरों से इस लापरवाही के बारे में नाराजगी जताई। उन्होंने डॉ. मनीष अग्रवाल को जोरदार फटकार लगाई और पूछा कि इस संवेदनशील मामले में इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है। इस नाराजगी के बाद अस्पताल प्रशासन ने पीड़िता को वापस आईसीयू वार्ड में शिफ्ट किया।
अलग वार्ड, आईसीयू या कॉटेज में करते है भर्ती नियमानुसार रेप पीड़िता को इलाज के दौरान हॉस्पिटल में अलग वार्ड, आईसीयू या कॉटेज वार्ड में भर्ती किया जाता है, ताकि उसकी पहचान उजागर न हो। लेकिन यहां इस मामले में अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर की लापरवाही सामने आई है। इस कारण पीड़िता की पहचान उजागर हुई। इस मामले में डॉक्टर मनीष अग्रवाल का कहना है कि मरीज की स्थिति सामान्य हो गई थी, जिसके चलते उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट किया था। अब प्रशासन ने मरीज को आईसीयू के लिए कहा तो दोबारा आईसीयू में शिफ्ट किया गया।