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जैसलमेर के देवीकोट इलाके में खेत पर करंट से हुई पाक विस्थापित दंपती की मौत के बाद बिजली विभाग और खेत मालिक (ठेकेदार) द्वारा करीब 20 लाख रुपए के मुआवजे के आश्वासन के बाद परिजन मृतक दंपती फोटाराम ओड (35) और दाधली देवी (32) के शव लेने को राजी हुए। इस दौरान विधायक छोटू सिंह भाटी के निजी सचिव, बिजली घर के अधिकारी, सांगड़ थानाधिकारी व मृतकों के परिजन-रिश्तेदार व पार्षद नरसिंग ओड मौजूद रहे। इस दौरान खेत मालिक (ठेकेदार) की तरफ से दो लाख रुपए मुआवजे के तौर पर पहले दिए गए। परिजन शवों के पोस्टमॉर्टम करवा मॉर्च्युरी से शव लेकर अंतिम संस्कार को निकले।

गौरतलब है कि, शुक्रवार को देवीकोट इलाके के सांगाणा गांव में एक खेती का काम करने के दौरान ट्रैक्टर पर बिजली का पोल गिर गया था। करंट से फोटाराम और उसको बचाने आई उसकी पत्नी दाधली देवी की मौत हो गई थी। हादसे के बाद मृतक दंपती के परिजनों और रिश्तेदारों ने खेत मालिक और बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शवों को मॉर्च्युरी से उठाने से इनकार कर दिया था। शनिवार को समझाने और मुआवजे पर सहमति बनने के बाद शवों को उठाया गया।

करीब 20 लाख रुपए मुआवजे का आश्वासन

मिली जानकारी के अनुसार पाक विस्थापित दंपती की मौत के मामले में बिजलीघर के अधिकारियों ने करीब 10 लाख के मुआवजे का आश्वासन दिया, वहीं खेत मालिक ने 4 लाख रुपए, इसके साथ ही निजी कंपनियों से मदद के तौर पर करीब 6 लाख रुपए दिलवाने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ। इस दौरान खेत मालिक की तरफ से 2 लाख रुपए पीड़ित परिजनों को दिए गए। अन्य रकम भी बहुत जल्द पीड़ित परिजनों को दिलवाने का आश्वासन दिया गया।

बिजली विभाग करेगा जांच

मौके पर आए एक्सईएन जेआर गर्ग ने बताया कि बिजली विभाग को हादसा जानकारी में आया। उसके बाद हमारी टीम भी मौके पर जाकर आई। बिजली विभाग इस हादसे कि जांच करवाएगा। इसके लिए एक टीम बनाई जाएगी और हादसे की सम्पूर्ण जांच की जाएगी।

17 महीने पहले ही पाकिस्तान से आया था परिवार

जानकारी के अनुसार, मृतक दंपती पाक विस्थापित है और 17 महीने पहले ही भारत आए थे। मृतक दंपती के 5 छोटे बच्चे हैं। सबसे बड़ा 13 साल का लड़का फिलहाल पाकिस्तान में ही है। उसे भारत का वीजा नहीं मिला है। अन्य चार बच्चे इनके साथ ही रहते हैं। मृतका दाधली के भाई रायचंद ने हादसे के लिए बिजली विभाग और खेत मालिक (ठेकेदार) को जिम्मेदार ठहराया।

रायचंद ने बताया कि बिजली का पोल केवल रेत में दो फीट ही अंदर लगा हुआ था। ना तो उसका कोई फाउंडेशन बनाया हुआ था और ना ही कोई पत्थर आदि से उसको पक्का किया हुआ था। ट्रैक्टर चलाते समय जैसे ही खेत की मिट्टी को बुवाई के समय तवी की जा रही थी उसी दौरान मिट्टी में धंसा बिजली का पोल ट्रैक्टर पर गिर पड़ा। इसके साथ ही खेत मालिक की भी लापरवाही है कि उसे मजदूरों को ट्रैक्टर नहीं देना चाहिए था।

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