बीकानेर सहित राज्य भर में चल रही रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवाओं को तार-तार कर दिया है। पीबीएम अस्पताल में मरीजों की लंबी कतार दिखाई दे रही है, वहीं आवश्यक ऑपरेशन भी अब टाले जा रहे हैं। मंगलवार तक पीबीएम में हर रोज की तुलना में महज पंद्रह-बीस फीसदी ऑपरेशन हो रहे थे, जो हड़ताल खत्म नहीं होने पर एक-दो दिन में शून्य पर भी आ सकते हैं। मौसमी बीमारियों के बीच रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल जानलेवा साबित हो रही है।
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से जुड़े करीब साढ़े पांच सौ रेजिडेंट डॉक्टर्स बीकानेर में हड़ताल पर है। ये डॉक्टर्स ही पीबीएम अस्पताल की रीढ़ की हड्डी है। इनकी डिमांड्स को लेकर पहले भी आंदोलन हुआ था। मांगे मानी गई थी लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई। अब एक बार फिर रेजिडेंट हड़ताल पर चले गए हैं। इससे स्थिति बिगड़ गई। मौसमी बीमारियों के कारण मेडिसिन विभाग के आगे खड़े रोगियों का नंबर ही नहीं आ रहा है। सीनियर डॉक्टर पहुंच रहे हैं, लेकिन स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
जूनियर रेजिडेंट की नहीं मिली स्वीकृति
साढ़े पांच सौ रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल तो बाद में हुई, इससे पहले सौ से ज्यादा जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स को भी रिलीव कर गया। चार महीने के अनुबंध पर लगे इन रेजिडेंट्स को जयपुर और जोधपुर में तो आगे काम का आदेश मिल गया लेकिन बीकानेर सहित अन्य जिलों के मेडिकल कॉलेज में कार्य अवधि नहीं बढ़ी। ये सौ जूनियर रेजिडेंट अभी काम कर रहे होते तो हालात में कुछ सुधार होता। साढ़े छह सौ डॉक्टर्स की अचानक आई कमी ने स्थिति को ओर भयावह कर दिया है।
सीएमएचओ और ज्वांइट डायरेक्टर आमने-सामने
पीबीएम अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी दूर करने के लिए सीमएचओ को अतिरिक्त डॉक्टर्स को भेजने के निर्देश दिए गए थे लेकिन सीएमएचओ डॉ. राजेश गुप्ता ने मौसमी बीमारियों का हवाला देते हुए इनकार कर दिया। इसके बाद संयुक्त निदेशक डॉ. देवेंद्र चौधरी ने 11 डॉक्टर्स को ग्रामीण क्षेत्रों से पीबीएम अस्पताल के लिए रिलीव कर दिया। डॉ. चौधरी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अन्य जिलों से भी डॉक्टर्स पीबीएम अस्पताल के लिए बुलाए जा सकते हैं। फिलहाल उन स्वास्थ्य केंद्रों से भेजे गए हैं, जहां पहले से दो डॉक्टर है।
इनका कहना है
हड़ताल तब तक जारी रहेगी, जब तक रेजिडेंट डॉक्टर्स की बात नहीं मानी जाती। हमने सरकार को बार-बार चेतावनी दी थी लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।