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संसद के शीतकालीन सत्र के 9वें दिन शुक्रवार को राज्यसभा में 500 रुपए का बंडल (50 हजार रुपए) मिलने पर जमकर हंगामा हुआ। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से नोटों की गड्डी मिली थी। भाजपा ने जांच की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- जांच से पहले किसी का नाम लेना ठीक नहीं है।

धनखड़ के बयान पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘मैं अनुरोध करता हूं कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और घटना की प्रामाणिकता स्थापित नहीं होती, तब तक किसी सदस्य का नाम नहीं लिया जाना चाहिए। ऐसा चिल्लर काम करके ही देश को बदनाम किया जा रहा है।’

रिजिजू बोले- क्या सदन में नोट का बंडल लाना उचित

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘रूटीन प्रोटोकॉल के मुताबिक एंटी-सैबोटाज टीम ने संसद कार्यवाही खत्म होने और सदन को बंद करने से पहले सीटों की जांच की थी। इसी दौरान नोट का बंडल मिला। मुझे समझ में नहीं आता कि इस पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए कि अध्यक्ष सदस्य का नाम न लें। अध्यक्ष ने सही तरीके से उस सीट नंबर और उस सीट पर बैठे सदस्य का नाम बताया। इसमें क्या गलत है?’

मामला साल 2008 का है। देश में मनमोहन सिंह सरकार (यूपीए-1) सरकार थी। अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर लेफ्ट ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। यूपीए ने 22 जुलाई को विश्वास प्रस्ताव पेश किया। इसी दिन बीजेपी के तीन सांसद- अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगौरा लोकसभा में एक करोड़ रुपए के नोटों की गड्डियां लेकर पहुंच गए। सांसदों ने सदन में नोट दिखाए।

तीनों सांसदों ने आरोप लगाया कि सपा के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने उन्हें विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने के लिए रुपए की पेशकश की थी। हालांकि, तब अमर सिंह और पटेल ने इन आरोपों को नकार दिया था।

लोकसभा में तब नेता प्रतिपक्ष रहे लालकृष्ण आडवाणी ने दावा किया था कि सांसदों को 3-3 करोड़ रुपए का लालच दिया था। पहले एक करोड़ दिया गया था और बाकी की रकम बाद में देने का आश्वासन दिया गया था।

ये पहला मौका था जब सदन में इस तरह से खुलेआम नोटों की गड्डियां उड़ाई गई थीं। इस घटना पर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज भी किया था।

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