राजस्थान बिजली संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में बिजली निगम के निजीकरण का विरोध करते हुए कर्मचारियों ने हाथ के काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते हुए पूरे प्रदेश में आंदोलन करने की चेतावनी दी।
संघर्ष समिति के सदस्य अधिशाषी अभियंता मनोज कुमार गोयल ने बताया कि प्रदेश में बिजली निगम का निजीकरण किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा तापीय बिजली उत्पादन गृहों को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे राज्य की आत्मनिर्भरता को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से कुशल बेरोजगारों को कम वेतन मिलेगा, जिससे उनका शोषण होगा और किसानों को महंगी दर पर बिजली मिलेगी, जिससे उनकी लागत बढ़ेगी और आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
ओपीएस योजना लागू करने की मांग
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का लाभ देने के लिए फॉर्म भरवाए गए थे, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। कर्मचारियों ने ईपीएफ कटौती बंद कर जीपीएफ कटौती शुरू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने बिजली क्षेत्र में सभी प्रकार के निजीकरण पर रोक लगाने और ग्रिड सब स्टेशनों एवं तापीय बिजली उत्पादन गृहों का संचालन निगम कर्मचारियों के माध्यम से करने की मांग की।
संघर्ष समिति के सदस्य चंद्रप्रकाश लाटा ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन उपखंड स्तर पर आयोजित किया गया है। आगामी 29 नवंबर को जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। अगर मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो कर्मचारी लोकतांत्रिक श्रमिक आंदोलन को तेज करेंगे।
ये रहे मौजूद
इस दौरान ग्रामीण सहायक अभियंता पीयूष कुमार मीणा, भादासर सहायक अभियंता धीरज कुमार विश्नोई, प्रेमनाथ सिद्ध, प्रतीक कुमार, विनोद कुमार, दामोदर माली, नवरत्न श्योराण, नरेंद्र कुमार, दिनेश कुमार सैनी, उमेश तिवाड़ी, मनोज सैनी, सुनील सहारण, हनुमान पुरोहित, हनुमान प्रजापत, जितेंद्र सिंह, रोहिताश, कालूसिंह, शिवभगवान, चेतन गोस्वामी, पूनम पारीक, प्रताप रणवा, गणेश शर्मा, रविंद्र सिंह, प्रकाश सिंह, सीपी लाटा और पवन पंवार सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल रहे।