रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पदभार संभालने के बाद कहा कि देश की आर्थिक स्थिति, ग्रोथ रेट और इन्फ्लेशन से संबंधित सभी पहलुओं की डीटेल्ड स्टडी करूंगा। मेरी प्रायोरिटी बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाना और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाए रखना है।
सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। उन्होंने RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह ली है। दास का कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को पूरा हो गया है। 11 दिसंबर से मल्होत्रा गवर्नर का पद संभाल लिया है।
RBI गवर्नर की प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़ी बड़ी बातें…
- RBI गवर्नर का पद संभालना मेरे लिए सम्मान की बात, बतौर हेड एक बड़ी जिम्मेदारी भी।
- RBI की जिम्मेदारी केवल बैंकिंग सेक्टर तक सीमित नहीं है।
- रिजर्व बैंक देश के आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाता है।
- बीते सालों में RBI का काम सराहनीय रहा है।
- इसकी लीगेसी को आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगा।
- पॉलिसी में स्थिरता लाना सबसे ज्यादा जरुरी।
- जनहित में फैसले लेने का भरोसा दिलाता हूं।
पहले कहा था- मुझे फील्ड समझने दीजिए
अपने अपॉइंटमेंट के एक दिन बाद संजय मल्होत्रा ने मंगलवार (10 दिसंबर) को कहा कि जॉइन करने के बाद वे सबसे पहले देश इकोनॉमी के लिए बेहतर उपाय को समझने में समय देंगे। मल्होत्रा ने कहा, ‘मुझे पहले जॉइन करने दीजिए, जरूरी विषयों को समझने दीजिए। यह एक अलग रोल है। आपको अर्थव्यवस्था के लिए जो भी जरूरी आवश्यक है, वह बेस्ट करना होगा।’
सरकार ने संजय मल्होत्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। संजय ने 6 साल गवर्नर रहे शक्तिकांत दास की जगह ली है। दास के कार्यकाल के दौरान उनके नाम कई सफल और उपयोगी फैसले जुड़े हैं।
कोरोना महामारी के दौरान टैक्सपेयर्स को टैक्स पेमेंट में छूट, इकोनॉमी में लिक्विडिटी बनाए रखने और दुनियाभर में युद्ध के हालातों के बीच अर्थव्यवस्था को स्टेबल बनाए रखने के लिए जरूरी फैसले लेना हो शक्तिकांत दास हमेशा इसमें आगे की भूमिका में रहे।
आज से अगले तीन साल के लिए संजय मल्होत्रा RBI के गवर्नर रहेंगे। उनके साथ शक्तिकांत दास की विरासत जुड़ी है, जिसमें कुछ चीजें उनका काम आसान करेंगी, तो कुछ चुनौतियां पेश कर सकती हैं। ऐसे में संजय के कार्यकाल के पहले दिन जानते हैं कुछ बड़ी जिम्मेदारियां जिन्हें पूरा करना है।
- संजय मल्होत्रा ऐसे समय में सेंट्रल बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं, जब इकोनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती दर्ज की गई है। इसके अलावा महंगाई तय दायरे के ऊपर पहुंच गई है। इस दोहरी चुनौती से निपटना उनके लिए सबसे जरूरी कामों में से होगा।
- अक्टूबर में रिटेल महंगाई की दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% पर पहुंच गई। वहीं, जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की GDP ग्रोथ घटकर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4% प्रतिशत पर रही थी। इसे ट्रैक पर लाने की जिम्मेदारी नए गवर्नर की होगी।
- RBI ने बीते करीब दो साल से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले एक महीने में फाइनेंस मिनिस्टर, उद्योग मंत्री और पेट्रोलियम मंत्री ब्याज दरों में कटौती की वकालत कर चुके हैं। संजय मल्होत्रा के लिए रेट कट का फैसला ज्यादा चैलेंजिंग रहने वाला है।
- एक समय बैंकों के पास जमा राशि 2.86 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी, लेकिन बीते 28 अगस्त को ये घटकर 1 लाख करोड़ रुपए से भी कम रह गई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैंकों पर डिपॉजिट बढ़ाने का दबाव अभी कुछ और समय तक जारी रह सकता है।