भरतपुर रिटायरमेंट से 7 दिन पहले सेना में सूबेदार भरतपुर के सोनेंद्र सिंह (38) का पटियाला (पंजाब) में हार्ट अटैक से निधन हो गया। शनिवार सुबह 10 बजे सैन्य सम्मान से भरतपुर के सुभाषनगर में अंतिम संस्कार किया गया। 10 साल के बेटे आदित्य ने पिता को मुखाग्नि दी।
सोनेंद्र सिंह के छोटे भाई मौनेंद्र सिंह ने बताया- वे भारतीय सेना आर्म्ड कोर यूनिट-1 हॉर्स पटियाला (पंजाब) में सूबेदार के पद पर तैनात थे। 12 दिसंबर को यूनिट के तारापुर गेट पर उनकी ड्यूटी थी। वे गेट पर थे। रात 8 बजे के करीब उन्हें सीने में दर्द हुआ। उन्होंने साथी जवान को बताया।
सूबेदार सोनेंद्र सिंह की आर्म्ड फर्स्ट पटियाला की एक फाइल फोटो।
साथी उन्हें आर्मी हॉस्पिटल, पटियाला ले गए। वहां डॉक्टर ने चेक करने के बाद दवा दी और कहा कि ये ठीक हैं। इन्हें ले जा सकते हैं। साथी सोनेंद्र सिंह को वापस ला रहे थे। रात 9 बजे के करीब रास्ते में ही उन्हें दोबारा सीने में दर्द उठा। वापस हॉस्पिटल ले गए, जहां रात 10 बजे उनका निधन हो गया।
उसी रात 10.30 बजे पिता के पास कॉल आया। भाई के निधन की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया। भाई सोनेंद्र सिंह के घर में उनकी पत्नी रेखा सिंह (35), बेटी अनुष्का (16) और बेटा आदित्य (10) हैं। अनुष्का दसवीं और आदित्य पांचवीं क्लास में है।
पटियाला से यूनिट के लोग शुक्रवार रात को बॉडी लेकर चले। शनिवार सुबह 8 बजे भरतपुर सुभाषनगर स्थित घर पर बॉडी पहुंची। इसके बाद सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया गया।
सूबेदार सोनेंद्र के अंतिम संस्कार में बेटी अनुष्का और बेटा आदित्य भी शामिल हुए। 10 साल के आदित्य ने पिता को मुखाग्नि दी।
रिटायरमेंट पर प्रोग्राम प्लान कर रहे थे मौनेंद्र ने बताया- 20 दिसंबर को भाई रिटायर होने वाले थे। उनका जब भी कॉल आता था, वे रिटायरमेंट प्रोग्राम को लेकर ही बात करते थे। उनकी इच्छा थी कि भरतपुर आकर बड़ा प्रोग्राम करें। 2 दिन पहले ही भाई से बात हुई थी। उन्होंने कहा था- मैंने पूरा जीवन आर्मी के नाम कर दिया। अब पूरे परिवार के साथ भरतपुर ही रहने की इच्छा है।
सेना की नौकरी करते-करते परिवार के साथ वक्त बिताने का समय ही नहीं मिला। अनुष्का और आदित्य के फ्यूचर के लिए भी वहां (भरतपुर) आकर कुछ अच्छा सोचूंगा। उन्होंने कहा- भैया को कभी कोई बीमारी नहीं रही। उन्होंने कभी सीने में दर्द की शिकायत भी नहीं की। अचानक हार्ट अटैक आना हमारे लिए हैरत की बात है।
पूरा परिवार सेना के लिए समर्पित मौनेंद्र सिंह ने बताया- मेरे पिता राम नगीना सिंह भी आर्मी से रिटायर्ड हैं। मैं एयरफोर्स में हूं। मेरी ड्यूटी शिलांग (मेघालय) में है। भाई 17 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए थे। 2 साल डेपुटेशन पर राष्ट्रीय राइफल में गए थे, उस समय जैसलमेर, हिसार, जोधपुर, पटियाला में रहे। जिस बटालियन में सोनेंद्र थे, उसी में पिता राम नगीना भी रहे थे।
सूबेदार सोनेंद्र सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर देते जवान।
सोनेंद्र के दोस्त और रिटायर्ड मेजर टीकम सिंह ने बताया- सोनेंद्र 2003 में सेना में भर्ती हुए थे। कुछ दिन बाद ही रिटायर होने वाले थे। ऑन ड्यूटी उनका निधन हो गया। हमें उनके निधन की सूचना मिली तो बहुत दुख हुआ।
पार्थिव देह लेकर आए साथी सूबेदार जितेंद्र सिंह ने बताया- सोनेंद्र के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी। इतने साल की ड्यूटी में कभी नहीं सुना कि वे किसी पर गुस्सा हुए हों या फिर किसी साथी से लड़ाई-झगड़ा किया हो। अचानक यह दुखद घटना हो गई।