प्रदेश का सबसे चर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला, जिसमें 2 लाख से ज्यादा लोगों से एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपयों की ठगी हुई। घोटाले की जांच करने वाली एजेंसी राजस्थान एसओजी 2 चार्जशीट दाखिल कर चुकी थी।
लेकिन यह घोटाला तब देशभर में चर्चा बना, जब एसओजी की तीसरी चार्जशीट में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार का नाम सामने आया। इस मामले को लेकर खूब राजनीति हुई।
लेकिन एसओजी ने अपनी आखिरी जांच में पाया कि गजेंद्र सिंह शेखावत की इस घोटाले में कोई भूमिका नहीं है। सोसाइटी चलाने के लिए निदेशक विक्रम ने उनके नाम का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। हाल ही में 25 सितंबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने भी उन्हें क्लीन चिट दे दी।
भास्कर ने एअसोजी की अब तक हुई अलग-अलग जांच रिपोर्ट की पड़ताल कर जाना कि घोटाले में केंद्रीय मंंत्री पर आरोप क्या थे, उनकी जांच में क्या तथ्य सामने आए, जिनके बाद उन्हें क्लीन चिट दी गई?
संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी घोटाले के मुख्य आरोपी विक्रम सिंह ने जोधपुर और बाड़मेर में संजीवनी सोसाइटी के ऑफिस खोल रखे थे। इस दौरान उसकी दोस्ती गजेंद्र सिंह शेखावत से हुई थी। गजेंद्र सिंह शेखावत उस समय सांसद नहीं थे, लेकिन पॉलिटिक्स से जुड़े होने के कारण लोगों में काफी लोकप्रिय थे।
सिंह ने शेखावत की लोकप्रियता का फायदा उठाकर सोसाइटी की मार्केटिंग में उनके नाम का उपयोग किया। विक्रम सिंह कई बड़े प्रोग्राम करवाता था, इन प्रोग्राम का मकसद होता था कि लोगों को दो से तीन गुना मुनाफा का झांसा देकर निवेश करवाना। शुरुआत में लोग उस पर भरोसा नहीं कर रहे थे।
ऐसे में उसने प्रोग्राम में बताना शुरू किया कि गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार के लोगों ने भी कंपनी में निवेश कर रखा है और वे कंपनी के शेयर होल्डर हैं। वो लोगों को शेखावत के साथ अपनी फोटो दिखाकर अपना दोस्त बताता था। उसने अपने स्कूल के प्रोग्राम में भी गजेंद्र सिंह शेखावत को बुलाया था। ऐसे में अधिकतर लोग उसके झांसे में आ गए और अपनी जिंदगी भर की कमाई सोसाइटी निवेश में कर दी।
एसओजी की जांच में ऐसे कोई सबूत नहीं मिले जिनमें गजेंद्र सिंह शेखावत संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी का प्रचार कर रहे हों। एक कार्यक्रम का वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें शेखावत विक्रम सिंह के बारे में जिक्र कर रहे हैं। लेकिन उसमें भी संजीवनी सोसाइटी से जुड़ी कोई बात नहीं थी। विक्रम ने लोगों से झूठ बोलकर शेखावत के नाम पर निवेश करवाया था। ऐसे में ठगी विक्रम सिंह ने की गजेंद्र सिंह शेखावत की कोई भूमिका नहीं थी।
कारण – 2सोसाइटी में गजेंद्र सिंह शेखावत का न तो निवेश न पार्टनरशिपविक्रम ने साल 2008 में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कराया। इसके बाद सोसाइटी वर्ष 2010 में मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई। मुख्य आरोपी विक्रम सिंह ही संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी का निदेशक था। विक्रम सिंह ने लोगों को झांसा दिया कि संजीवनी क्रेडिट सोसायटी में गजेंद्र सिंह शेखावत ने निवेश कर रखा है। वे सोसाइटी की कंपनी के शेयर होल्डर हैं। जबकि जांच में सामने आया कि गजेंद्र सिंह शेखावत की संजीवनी क्रेडिट सोसाइटी में कोई पार्टनरशिप नहीं थी। उन्होंने सोसाइटी में किसी प्रकार निवेश नहीं किया था।
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